Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e4514a56adf74f541254c6d32aa414c3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम ने दिल से तुझे सदा माना - हबीब जालिब कविता - Darsaal

हम ने दिल से तुझे सदा माना

हम ने दिल से तुझे सदा माना

तू बड़ा था तुझे बड़ा माना

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' के बा'द 'अनीस' के बा'द

तुझ को माना बड़ा बजा माना

तू कि दीवाना-ए-सदाक़त था

तू ने बंदे को कब ख़ुदा माना

तुझ को पर्वा न थी ज़माने की

तू ने दिल ही का हर कहा माना

तुझ को ख़ुद पे था ए'तिमाद इतना

ख़ुद ही को तो न रहनुमा माना

की न शब की कभी पज़ीराई

सुब्ह को लाएक़-ए-सना माना

हँस दिया सत्ह-ए-ज़ेहन-ए-आलम पर

जब किसी बात का बुरा माना

यूँ तो शाइ'र थे और भी ऐ 'जोश'

हम ने तुझ सा न दूसरा माना

(1894) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Humne Dil Se Tujhe Sada Mana In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Humne Dil Se Tujhe Sada Mana is written by Habib Jalib. Complete Poem Humne Dil Se Tujhe Sada Mana in Hindi by Habib Jalib. Download free Humne Dil Se Tujhe Sada Mana Poem for Youth in PDF. Humne Dil Se Tujhe Sada Mana is a Poem on Inspiration for young students. Share Humne Dil Se Tujhe Sada Mana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.