Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7f392da6a81d0b4a526fc379df39de37, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा - हबीब जालिब कविता - Darsaal

'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा

'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा

हम से तय न होगी क्या मंज़िल-ए-अदब तन्हा

फ़िक्र-ए-अंजुमन किस को कैसी अंजुमन प्यारे

अपना अपना ग़म सब का सोचिए तो सब तन्हा

सुन रखो ज़माने की कल ज़बान पर होगी

हम जो बात करते हैं आज ज़ेर-ए-लब तन्हा

अपनी रहनुमाई में की है ज़िंदगी हम ने

साथ कौन था पहले हो गए जो अब तन्हा

मेहर-ओ-माह की सूरत मुस्कुरा के गुज़रे हैं

ख़ाक-दान-ए-तीरा से हम भी रोज़-ओ-शब तन्हा

कितने लोग आ बैठे पास मेहरबाँ हो कर

हम ने ख़ुद को पाया है थोड़ी देर जब तन्हा

याद भी है साथ उन की और ग़म-ए-ज़माना भी

ज़िंदगी में ऐ 'जालिब' हम हुए हैं कब तन्हा

(1887) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha is written by Habib Jalib. Complete Poem Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha in Hindi by Habib Jalib. Download free Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha Poem for Youth in PDF. Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghaalib-o-yagana Se Log Bhi The Jab Tanha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.