आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह

आग है फैली हुई काली घटाओं की जगह

बद-दुआएँ हैं लबों पर अब दुआओं की जगह

इंतिख़ाब-ए-अहल-ए-गुलशन पर बहुत रोता है दिल

देख कर ज़ाग़-ओ-ज़ग़्न को ख़ुश-नवाओं की जगह

कुछ भी होता पर न होते पारा-पारा जिस्म-ओ-जाँ

राहज़न होते अगर उन रहनुमाओं की जगह

लुट गई इस दौर में अहल-ए-क़लम की आबरू

बिक रहे हैं अब सहाफ़ी बेसवाओं की जगह

कुछ तो आता हम को भी जाँ से गुज़रने का मज़ा

ग़ैर होते काश 'जालिब' आश्नाओं की जगह

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Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah In Hindi By Famous Poet Habib Jalib. Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah is written by Habib Jalib. Complete Poem Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah in Hindi by Habib Jalib. Download free Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah Poem for Youth in PDF. Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah is a Poem on Inspiration for young students. Share Aag Hai Phaili Hui Kali GhaTaon Ki Jagah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.