उस को देखा तो नाम भूल गया

उस को देखा तो नाम भूल गया

फिर मैं करना कलाम भूल गया

भूल कर वो भी सब गिले आया

मैं भी शिकवे तमाम भूल गया

उस की आँखों की बात ऐसी छिड़ी

मैं उठाना ही जाम भूल गया

आज तस्लीम करना भूला वो

मैं भी करना सलाम भूल गया

कल वो भूला था बात कहने की

आज उस का ग़ुलाम भूल गया

यूँ ही उलझा मैं कल की शब उस से

वो भी रखता है दाम भूल गया

उस ने दिल में मक़ाम पाया है

जो भी अपना मक़ाम भूल गया

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