गर मैं नहीं तो दर्द का पैकर कोई तो है
गर मैं नहीं तो दर्द का पैकर कोई तो है
ठहरी हुई निगाह में मंज़र कोई तो है
दस्तक हुई है मुद्दतों में फिर उसी तरह
तू है हवा है वहम है दर पर कोई तो है
ये आसमान तारों भरा ख़ूब जानिए
फ़ुटपाथ के बिछौने पे छप्पर कोई तो है
इस शहर-ए-बे-अमाँ में बंदिश के बावजूद
मिलता है मुझ से आज भी खुल कर कोई तो है
चलिए कि लौट चलते हैं फिर आज रात हम
तन्हाई ही सही वहाँ घर पर कोई तो है
ये क्या कि मुझ को देख के आँसू निकल पड़े
सच बोलता है जो तिरे अंदर कोई तो है
'कैफ़ी' को याद करते हैं अब हर तरह के लोग
ज़िंदा तुम्हारे शहर में मर कर कोई तो है
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