बिछड़ो तो ये ध्यान रखना
बिछड़ो तो ये ध्यान रखना
मिलने का इम्कान रखना
बात असर गहरा करती है
लफ़्ज़ों में कुछ जान रखना
मिलने जब जाना हो उस से
रास्ता सुनसान रखना
अच्छा है मुँह बंद रहे तो
जिस्म को लेकिन कान रखना
वो जब हैराँ करने आए
उस को भी हैरान रखना
और किसी पर हो न हो पर
ख़ुद पर तो ईमान रखना
सामने हो जब फ़रिश्ते
ख़ुद को तुम इंसान रखना
हम दोनों के अफ़्साने का
अच्छा सा उन्वान रखना
वक़्त-ए-ज़रूरत काम आए जो
ऐसा भी सामान रखना
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