या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है
ऐ इश्क़ तिरी फ़ितरत-ए-आज़ाद कहाँ है
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(810) Peoples Rate This
मौत के ब'अद भी मरने पे न राज़ी होना
न हो कुछ और तो वो दिल अता हो
वो दर्द-ए-इश्क़ जिस को हासिल-ए-ईमाँ भी कहते हैं
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें
आप शर्मिंदा जफ़ाओं पे न हों
अब बहुत दूर नहीं मंज़िल-ए-दोस्त
चश्म-ए-सय्याद पे हर लहज़ा नज़र रखता है
हर क़दम पर है एहतिसाब-ए-अमल
दुनिया को रू-शनास-ए-हक़ीक़त न कर सके
जिस के वास्ते बरसों सई-ए-राएगाँ की है
कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे
अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार