तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
मिरे मुंतज़िर कुछ जहाँ और भी हैं
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
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आफ़ियत की उम्मीद क्या कि अभी
हाए बे-दाद-ए-मोहब्बत कि ये ईं बर्बादी
वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए-हिज्र है क्या
हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी
नवेद-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार भी तो नहीं
इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात
फ़ैज़ पहुँचे हैं जो बहारों से
जबीं-ए-नवाज़ किसी की फ़ुसूँ-गरी क्यूँ है
निगाह-ए-लुत्फ़ को उल्फ़त-शिआर समझे थे
अपने दामन में एक तार नहीं