जो काम करने हैं उस में न चाहिए ताख़ीर
कभी पयाम अजल ना-गहाँ भी आता है
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इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात
तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
ये ग़म नहीं है कि अब आह-ए-ना-रसा भी नहीं
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
आप शर्मिंदा जफ़ाओं पे न हों
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की बज़्म-ए-ला-महदूद
और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी
या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
जिस के वास्ते बरसों सई-ए-राएगाँ की है
कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे