Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e5c7ac5598d91423eaef32ba3c01dedf, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तमाम रात बुझेंगे न मेरे घर के चराग़ - हबाब तिर्मिज़ी कविता - Darsaal

तमाम रात बुझेंगे न मेरे घर के चराग़

तमाम रात बुझेंगे न मेरे घर के चराग़

कि ये चराग़ हैं ख़ून-ए-दिल-ओ-जिगर के चराग़

इन आँसुओं को सितारे सलाम करते हैं

बुझा सको तो बुझा दो ये चश्म-ए-तर के चराग़

हुआ न ऐसा चराग़ाँ कभी सर-ए-मक़्तल

हथेलियों पे हैं रौशन बुरीदा-सर के चराग़

उन्हीं पे चलने से मंज़िल मिलेगी हम-सफ़रो

ये नक़्श-ए-पा हैं किसी के कि रहगुज़र के चराग़

इस अंजुमन में उजाला रहेगा सदियों तक

जला रहा हूँ मुसलसल दिल-ओ-नज़र के चराग़

ये लाल-क़िलअ' ये दीवार-ए-चीं ये ताज-महल

ये सब के सब हैं जलाए हुए बशर के चराग़

'हबाब' शहर-ए-सबा में वो क़ुमक़ुमों की बहार

गली गली में फ़रोज़ाँ थे सीम-ओ-ज़र के चराग़

(756) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh In Hindi By Famous Poet Habab Tirmizi. Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh is written by Habab Tirmizi. Complete Poem Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh in Hindi by Habab Tirmizi. Download free Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh Poem for Youth in PDF. Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh is a Poem on Inspiration for young students. Share Tamam Raat Bujhenge Na Mere Ghar Ke Charagh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.