ख़ुश-नज़र है न ख़ुश-ख़याल है ये

ख़ुश-नज़र है न ख़ुश-ख़याल है ये

आज के दीदा-वर का हाल है ये

तुम मिरे दिल में क्यूँ नहीं आते

शहर-ए-र'अनाई-ए-जमाल है ये

मेरे चेहरे पे कुछ नहीं तहरीर

सिर्फ़ उनवान-ए-अर्ज़-ए-हाल है ये

वज्ह-ए-नाकामी-ए-वफ़ा क्या है

आप से आख़िरी सवाल है ये

चाहते भी हैं चाहते भी नहीं

दोस्ती की नई मिसाल है ये

कैसे सुलझेंगे काकुल-ए-दौराँ

कितना उलझा हुआ सवाल है ये

कौन जाने उरूज क्या होगा

आदमी का अगर ज़वाल है ये

ढूँढता है नई नई उफ़्ताद

दिल-ए-ईज़ा-तलब का हाल है ये

इस ज़माने में पाक-दामानी

अम्र मुमकिन नहीं मुहाल है ये

अब कोई आँख नम नहीं होती

दिल की दुनिया में ख़ुश्क साल है ये

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