उसी का ईमाँ बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(5052) Peoples Rate This
गर्म लाशें गिरीं फ़सीलों से
हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
किर्चें
ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें
लैंडस्केप
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
खंडर
तख़्लीक़
फ़ज़ा
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म