ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(4660) Peoples Rate This
रूह देखी है कभी!
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
वक़्त-1
जब भी आँखों में अश्क भर आए
शाम से आँख में नमी सी है
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
किताबें
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं
बर्फ़ पिघलेगी
किनारे पर कोई आया था
लिबास