ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी
उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
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Gulzar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
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दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
अख़बार
हिरासत
उसी का ईमाँ बदल गया है
दर्द हल्का है साँस भारी है
लिबास
फिर वहीं लौट के जाना होगा
बर्फ़ पिघलेगी
ज़िक्र होता है जहाँ भी मिरे अफ़्साने का
ओस पड़ी थी रात बहुत और कोहरा था गर्माइश पर
एक दौर
राख को भी कुरेद कर देखो