हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
Gulzar
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
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फूल ने टहनी से उड़ने की कोशिश की
ज़िक्र आए तो मिरे लब से दुआएँ निकलें
चम्पई धूप
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
एक परवाज़ दिखाई दी है
ख़ुदा
हर एक ग़म निचोड़ के हर इक बरस जिए
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
लिबास
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
नज़्म
दिखाई देते हैं धुँद में जैसे साए कोई