आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए'तिबार किया
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चम्पई धूप
सहमा सहमा डरा सा रहता है
गिरहें
बारिश होती है तो पानी को भी लग जाते हैं पाँव
पोम्पिये
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
उर्दू ज़बाँ
उसी का ईमाँ बदल गया है
खंडर
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
तख़्लीक़