लिबास

मेरे कपड़ों में टंगा है

तेरा ख़ुश-रंग लिबास!

घर पे धोता हूँ हर बार उसे और सुखा के फिर से

अपने हाथों से उसे इस्त्री करता हूँ मगर

इस्त्री करने से जाती नहीं शिकनें उस की

और धोने से गिले-शिकवों के चिकते नहीं मिटते!

ज़िंदगी किस क़दर आसाँ होती

रिश्ते गर होते लिबास

और बदल लेते क़मीज़ों की तरह!

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Libas In Hindi By Famous Poet Gulzar. Libas is written by Gulzar. Complete Poem Libas in Hindi by Gulzar. Download free Libas Poem for Youth in PDF. Libas is a Poem on Inspiration for young students. Share Libas with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.