बे-ख़ुदी

दो सौंधे सौंधे से जिस्म जिस वक़्त

एक मुट्ठी में सो रहे थे

लबों की मद्धम तवील सरगोशियों में साँसें उलझ गई थीं

मुँदे हुए साहिलों पे जैसे कहीं बहुत दूर

ठंडा सावन बरस रहा था

बस एक रूह ही जागती थी

बता तू उस वक़्त मैं कहाँ था?

बता तू उस वक़्त तू कहाँ थी?

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Be-KHudi In Hindi By Famous Poet Gulzar. Be-KHudi is written by Gulzar. Complete Poem Be-KHudi in Hindi by Gulzar. Download free Be-KHudi Poem for Youth in PDF. Be-KHudi is a Poem on Inspiration for young students. Share Be-KHudi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.