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अकेले - गुलज़ार कविता - Darsaal

अकेले

किस क़दर सीधा, सहल, साफ़ है रस्ता देखो

न किसी शाख़ का साया है, न दीवार की टेक

न किसी आँख की आहट, न किसी चेहरे का शोर

दूर तक कोई नहीं, कोई नहीं, कोई नहीं

चंद क़दमों के निशाँ हाँ कभी मिलते हैं कहीं

साथ चलते हैं जो कुछ दूर फ़क़त चंद क़दम

और फिर टूट के गिर जाते हैं ये कहते हुए

अपनी तन्हाई लिए आप चलो, तन्हा अकेले

साथ आए जो यहाँ कोई नहीं, कोई नहीं

किस क़दर सीधा, सहल, साफ़ है रस्ता देखो

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Akele In Hindi By Famous Poet Gulzar. Akele is written by Gulzar. Complete Poem Akele in Hindi by Gulzar. Download free Akele Poem for Youth in PDF. Akele is a Poem on Inspiration for young students. Share Akele with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.