आदत

साँस लेना भी कैसी आदत है

जिए जाना भी क्या रिवायत है

कोई आहट नहीं बदन में कहीं

कोई साया नहीं है आँखों में

पाँव बेहिस हैं चलते जाते हैं

इक सफ़र है जो बहता रहता है

कितने बरसों से कितनी सदियों से

जिए जाते हैं जिए जाते हैं

आदतें भी अजीब होती हैं

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Aadat In Hindi By Famous Poet Gulzar. Aadat is written by Gulzar. Complete Poem Aadat in Hindi by Gulzar. Download free Aadat Poem for Youth in PDF. Aadat is a Poem on Inspiration for young students. Share Aadat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.