Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_44514a6c8c3468b47bfbd9a2111ad298, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की - गुलज़ार कविता - Darsaal

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की

नींद में कोई अपने-आप से बातें करता रहता है

काल-कुएँ में गूँजती है आवाज़ किसी सौदाई की

सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले

हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की

आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं

क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की

तारों की रौशन फ़सलें और चाँद की एक दरांती थी

साहू ने गिरवी रख ली थी मेरी रात कटाई की

(2601) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki In Hindi By Famous Poet Gulzar. Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki is written by Gulzar. Complete Poem Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki in Hindi by Gulzar. Download free Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki Poem for Youth in PDF. Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki is a Poem on Inspiration for young students. Share Tinka Tinka KanTe ToDe Sari Raat KaTai Ki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.