दर्द

सरसराहट है

न आहट है

न हलचल

न चुभन

दर्द चुप-चाप

किसी धीमी नदी की सूरत

साँस लेती हुई

गांठों में

उतर आया है

कितने बरसों की

रियाज़त से

हुनर-मंदी से

ऐसे बिखरे हुए

रेशों को समेटा है मगर

और हर बार

हर इक बार

बहुत जतनों से

जिस्म को जान से

जोड़ा है मगर

बे-सबब साँस की कटती डोरी

कब से थामे हुए

बैठे हैं मगर

आज नहीं

या कहीं दर्द थमे

और सकूँ मिल जाए

या कोई गाँठ खुले

और क़रार आ जाए

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Dard In Hindi By Famous Poet Gulnaz Kausar. Dard is written by Gulnaz Kausar. Complete Poem Dard in Hindi by Gulnaz Kausar. Download free Dard Poem for Youth in PDF. Dard is a Poem on Inspiration for young students. Share Dard with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.