उम्र गई उल्फ़त-ए-ज़र जी से इलाही न गई

उम्र गई उल्फ़त-ए-ज़र जी से इलाही न गई

मू सफ़ेद हो गए पर दिल की सियासी न गई

जी में ठाना था कि हम हिज्र में जीने के नहीं

मर गए आह ये बात हम से निबाही न गई

उम्र गई हिज्र में दिल करता है मज़कूर-ए-विसाल

बात अब तक यही दीवाने की वाही न गई

जी गवारा नहीं करता कि करूँ मिन्नत-ए-ख़ल्क़

हो गए गरचे गदा दिल से वो शाही न गई

दुख़्तर-ए-रज़ से फ़क़त में नहीं महफ़ूज़ 'हुज़ूर'

कौन मज्लिस है कि जिस में ये सराही न गई

(676) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai In Hindi By Famous Poet Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai is written by Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Complete Poem Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai in Hindi by Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Download free Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai Poem for Youth in PDF. Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai is a Poem on Inspiration for young students. Share Umr Gai Ulfat-e-zar Ji Se Ilahi Na Gai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.