क्या रफ़ू करने लगा है जा भी नादाँ यक तरफ़
क्या रफ़ू करने लगा है जा भी नादाँ यक तरफ़
फट चली छाती कोई दम में गरेबाँ यक तरफ़
चाँदनी में कल निकल बैठा था वो ख़ुर्शीद-रू
देखता था मैं खड़ा गोशे में पिन्हाँ यक तरफ़
तुर्फ़ा हालत थी कभी हम ने न देखा था 'हुज़ूर'
माह-ए-ताबाँ यक तरफ़ मेहर-ए-दरख़्शाँ यक तरफ़
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