Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_014e376f233994223bf2fcd9797f759f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आइना है ये जहाँ इस में जमाल अपना है - ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

आइना है ये जहाँ इस में जमाल अपना है

आइना है ये जहाँ इस में जमाल अपना है

सूरत-ए-ग़ैर कहाँ है ये ख़याल अपना है

बस कि हों हेच-मदाँ उस पे मैं करता हूँ घमंड

बे-कमाली में मुझे अपनी कमाल अपना है

नाला-ओ-आह है या गिर्या-ओ-ज़ारी है यहाँ

पूछते क्या हो जो कुछ हिज्र में हाल अपना है

तालिब इक बोसे का हूँ देते हो क्या साफ़ जवाब

कुछ बहुत भी नहीं थोड़ा ही सवाल अपना है

है बुरा या भला जो कुछ कि है तेरा है 'हुज़ूर'

इस के तईं घर से मत अपने तू निकाल अपना है

(676) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai In Hindi By Famous Poet Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai is written by Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Complete Poem Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai in Hindi by Gulam Yahya Huzur Azimabadi. Download free Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai Poem for Youth in PDF. Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaina Hai Ye Jahan IsMein Jamal Apna Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.