Friendship Poetry of Gulam Yahya Huzur Azimabadi
नाम | ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Gulam Yahya Huzur Azimabadi |
यार गर पूछे तो कीजे कुछ अर्ज़
कभी हाथ भी आएगा यार सच कह
हैं शैख़ ओ बरहमन तस्बीह और ज़ुन्नार के बंदे
देखना ज़ोर ही गाँठा है दिल-ए-यार से दिल
टुक देखियो ये अबरू-ए-ख़मदार वही है
मुझ से मुड़ने की नीं किसी रू से
महज़ूँ न हो 'हुज़ूर' अब आता है यार अपना
जब से गया है वो मिरा ईमान-ए-ज़िंदगी
हर शजर के तईं होता है समर से पैवंद
गुल-एज़ार और भी यूँ रखते हैं रंग और नमक
ग़ैर आए पीछे पा गए मुजरे का बार पहले
दिल ब-अज़-काबा है याराँ जुब्बा-साई चाहिए
आबरू उल्फ़त में अगर चाहिए