गुलाम जीलानी असग़र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का गुलाम जीलानी असग़र
नाम | गुलाम जीलानी असग़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Gulam Jilani Asghar |
आईना-ख़ाने से दामन को बचा कर गुज़रो
शहर-ए-जाँ की फ़सीलों से बाहर
तू सरहद-ए-ख़याल से आगे गुज़र गया
तू अंग अंग में ख़ुश्बू सी बन गया होगा
मिले भी दोस्त तो इस तर्ज़-ए-बे-दिली से मिले
मौज-ए-सरसर की तरह दिल से गुज़र जाओगे
कुछ तुम्हारी अंजुमन में ऐसे दीवाने भी थे
कितने दरिया इस नगर से बह गए
हमारा उन का तअ'ल्लुक़ जो रस्म-ओ-राह का था
अब के बाज़ार में ये तुर्फ़ा तमाशा देखा