Hope Poetry of Guhar Khairabadi
नाम | गुहर खैराबादी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Guhar Khairabadi |
वक़ार दे के कभी बे-वक़ार मत करना
तूफ़ान समुंदर के न दरिया के भँवर देख
तारीकियों में अपनी ज़िया छोड़ जाऊँगा
मैं ग़र्क़ वहाँ प्यास के पैकर की तरह था
मैं इक मुसाफ़ि-ए-तन्हा मिरा सफ़र तन्हा
ग़म नहीं जो लुट गए हम आ के मंज़िल के क़रीब
दिल के दामन में जो सरमाया-ए-अफ़्कार न था
चराग़ से कभी तारों से रौशनी माँगे
बे-ख़बर कैसे हो रहे हो तुम