जिस तरफ़ भी देखिए साया नहीं

जिस तरफ़ भी देखिए साया नहीं

फिर भी गुलशन है कोई सहरा नहीं

लोग बैठे हैं उसी की छाँव में

साए से जिस पेड़ का रिश्ता नहीं

काम अगर आए निगाह-ए-हक़-शनास

फिर किसी पहलू कोई धोका नहीं

हक़-पसंद मेरा दस्तूर-ए-अमल

या'नी बिक जाना मिरा शेवा नहीं

दोस्तो रक्खो हक़ीक़त पर नज़र

ख़्वाब आँखों में कभी पलता नहीं

उस की दुनिया में नहीं क़ीमत कोई

जो कसौटी पर खरा उतरा नहीं

वुसअतें दिल की हैं दरिया की तरह

कौन कहता है कि दिल दरिया नहीं

दर्द-ओ-ग़म वो किस के समझे ऐ 'गुहर'

अपने घर से जो कभी निकला नहीं

(722) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin In Hindi By Famous Poet Guhar Khairabadi. Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin is written by Guhar Khairabadi. Complete Poem Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin in Hindi by Guhar Khairabadi. Download free Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin Poem for Youth in PDF. Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Taraf Bhi Dekhiye Saya Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.