Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6066791a80aa2efcc7b5e09c65d98199, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़िंदगी की रौशनी के इस्तिआरे ख़्वाब हैं - गुफ़्तार ख़याली कविता - Darsaal

ज़िंदगी की रौशनी के इस्तिआरे ख़्वाब हैं

ज़िंदगी की रौशनी के इस्तिआरे ख़्वाब हैं

देखिए ताबीर क्या हो कितने प्यारे ख़्वाब हैं

बुख़्ल है करते नहीं ख़्वाबों की ख़ुशियों में शरीक

आओ हम देते हैं तुम को जो हमारे ख़्वाब हैं

जिन की आँखें थी हक़ीक़त के तजस्सुस में मगन

उन का दामाँ देखिए सारे के सारे ख़्वाब हैं

जागते में सो रहा था उन के जज़्बों का शुऊर

नींद उस की है मगर उस में हमारे ख़्वाब हैं

बे-सुकूँ लम्हों में सोना है गिराँ एहसास का

क़र्ज़ है ताबीर उन की जो उधारे ख़्वाब हैं

सो गया था वक़्त के नेज़े पे सर रक्खे हुए

मैं ने ये कैसी बुलंदी से उतारे ख़्वाब हैं

हम हक़ीक़त में गुज़र जाएँगे ख़्वाबों की तरह

रौशनी, ज़ुल्मत, मह-ओ-ख़ुर्शीद सारे ख़्वाब हैं

(754) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain In Hindi By Famous Poet Guftar Khayali. Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain is written by Guftar Khayali. Complete Poem Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain in Hindi by Guftar Khayali. Download free Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain Poem for Youth in PDF. Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Zindagi Ki Raushni Ke Istiare KHwab Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.