वो तिफ़्ल-ए-नुसैरी आए शायद
क़स्में दूँ मुर्तज़ा-अली की
Gulzar
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(755) Peoples Rate This
किस नाज़ से वाह हम को मारा
ठुकरा के चले जबीं को मेरी
मिस्ल-ए-तिफ़्लाँ वहशियों से ज़िद है चर्ख़-ए-पीर को
लब-ए-जाँ-बख़्श पे दम अपना फ़ना होता है
न मर के भी तिरी सूरत को देखने दूँगा
नज़्ज़ारा-ए-रुख़-ए-साक़ी से मुझ को मस्ती है
नीम बिस्मिल की क्या अदा है ये
दिमाग़ और ही पाती हैं इन हसीनों में
उस को मुझ से रुठा दिया किस ने
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
मुँह ढाँप के मैं जो रो रहा हूँ
क्या हैं शैदा-ए-क़द्द-ए-यार दरख़्त