सारे क़ुरआन से उस परी-रू को
याद इक लफ़्ज़-ए-लन-तरानी है
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(774) Peoples Rate This
गया है कूचा-ए-काकुल में अब दिल
ये इक तेरा जल्वा सनम चार सू है
न मर के भी तिरी सूरत को देखने दूँगा
ज़ोफ़ से रहता है अब पाँव पे सर
वो तिफ़्ल-ए-नुसैरी आए शायद
अपने सिवा नहीं है कोई अपना आश्ना
उस को ग़फ़लत-पेशा कह आते हैं हम
किस नाज़ से वाह हम को मारा
ठुकरा के चले जबीं को मेरी
क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं
बिजली चमकी तो अब्र रोया
मिस्ल-ए-तिफ़्लाँ वहशियों से ज़िद है चर्ख़-ए-पीर को