उल्फ़त ये छुपाएँ हम किसी की

उल्फ़त ये छुपाएँ हम किसी की

दिल से भी कहें न अपनी जी की

जाने वो क्या किसी की जी की

जिस को उल्फ़त न हो किसी की

ख़्वाहिश न बर आई अपनी जी की

हम ने किस किस की दोस्ती की

अच्छी नहीं शरह आशिक़ी की

पूछो न अजी किसी की जी की

ये रोए कि नामा बह के पहुँचा

अश्कों ने हमारे क़ासिदी की

सुर्ख़ी मगर उस के लब की देखी

रंगत है सफ़ेद आरसी की

आशिक़ थे वो हम कि ब'अद अपने

मिट्टी ही ख़राब आशिक़ी की

ऐ अब्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ सच कह

रोते कटती है शब किसी की

दिल ज़ुल्फ़-ए-रसा तलक तो पहुँचा

इतनी बख़्तों ने रहबरी की

बिजली चमकी तो अब्र रोया

याद आ गई क्या हँसी किसी की

हम किसी की गली की राह भूले

जो ख़िज़्र ने भी न रहबरी की

दिल को मिरे ख़ाक में मिलाया

दिलबर ने ख़ूब दिलबरी की

सोज़िश मिरे दिल की देख ऐ माह

कर सैर इस बुर्ज-ए-आतिशी की

वो तिफ़्ल-ए-नुसैरी आए शायद

क़स्में दूँ मुर्तज़ा-अली की

गर्दन-ज़दनी थी शम्अ-ए-सरकश

क्यूँ उस की गली से हम-सरी की

बस रख दिया ख़त में बर्ग-ए-सौसन

जब लिख न सके सिफ़त मिसी की

ठुकरा के चली जबीं को मेरे

क़िस्मत के लिखे ने यावरी की

ये रश्क है मुँह जो यार देखे

सूरत देखूँ न आरसी की

भूला था मैं राह-ए-कू-ए-क़ातिल

तू ने ऐ मौत रहबरी की

उस के गर्दन तलक न पहुँचा

ऐ दस्त-ए-दराज़ कोतही की

दिल को पाला बग़ल में तू ने

गोया दुश्मन से दोस्ती की

(855) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki In Hindi By Famous Poet Goya Faqir Mohammad. Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki is written by Goya Faqir Mohammad. Complete Poem Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki in Hindi by Goya Faqir Mohammad. Download free Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki Poem for Youth in PDF. Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki is a Poem on Inspiration for young students. Share Ulfat Ye Chhupaen Hum Kisi Ki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.