Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8ae473593c5264e932462b9de650e547, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं - गोया फ़क़ीर मोहम्मद कविता - Darsaal

क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं

क़त्ल उश्शाक़ किया करते हैं

बुत कहाँ ख़ौफ़-ए-ख़ुदा करते हैं

सर मिरा तन से जुदा करते हैं

दर्द की आप दवा करते हैं

आतिश-ए-ग़म ने मगर फूँक दिया

दिल से शोले जो उठा करते हैं

जामा-ए-सुर्ख़ तिरा देख के गुल

पैरहन अपना क़बा करते हैं

ख़ून रोते हैं चमन में बुलबुल

हम गुलों से जो हँसा करते हैं

ख़म-ए-अबरू-ए-सनम को देखें

हम ये काबे में दुआ करते हैं

अपने साक़ी को शब-ए-फ़ुर्क़त में

पानी पी पी के दुआ करते हैं

रोज़ दो-चार का ख़ून करता है

दस्त-ओ-पा सुर्ख़ रहा करते हैं

मर गए पर हदफ़-ए-तीर है ख़ाक

जा-ब-जा तोदे बना करते हैं

दहन-ए-ज़ख़्म से हम क़ातिल के

तेग़ को चूम लिया करते हैं

शोर-ए-महशर से डरें क्या आशिक़

ऐसे हंगामे हुआ करते हैं

होते हैं दिल में निहायत नादिम

ख़ून जो बे-जुर्म किया करते हैं

मेहंदी मलने के बहाने क़ातिल

कफ़-ए-अफ़सोस मला करते हैं

एवज़-ए-बादा ग़म-ए-साक़ी में

ख़ून-ए-दिल अपना पिया करते हैं

पाँव तक हाथ न पहुँचा उस की

हाथ हैहात मला करते हैं

जो हमें भूल गया है ज़ालिम

उस को हम याद किया करते हैं

ना-तवानी ने दिए पर हम को

जीवन-ए-पर-ए-काह उड़ा करते हैं

हम बने चाँद के हाले 'गोया' हैं

गिर्द उस मह के रहा करते हैं

(927) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain In Hindi By Famous Poet Goya Faqir Mohammad. Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain is written by Goya Faqir Mohammad. Complete Poem Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain in Hindi by Goya Faqir Mohammad. Download free Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain Poem for Youth in PDF. Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Qatl Ushshaq Kiya Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.