Heart Broken Poetry of Govind Gulshan
नाम | गोविन्द गुलशन |
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अंग्रेज़ी नाम | Govind Gulshan |
उल्फ़त का दर्द-ए-ग़म का परस्तार कौन है
शेर जब खुलता है खुलते हैं मआनी क्या क्या
सँभल के रहिएगा ग़ुस्से में चल रही है हवा
राह-ए-उल्फ़त में मक़ामात पुराने आए
मुंतज़िर आँखें हैं मेरी शाम से
हवा के हाथ में ख़ंजर है और सब चुप हैं
दिल में ये एक डर है बराबर बना हुआ
दर्द जब जब जहाँ से गुज़रेगा
आप जब चेहरा बदल कर आ गए