शौक़-ए-सवाब कुछ नहीं ख़ौफ़-ए-अज़ाब कुछ नहीं
शौक़-ए-सवाब कुछ नहीं ख़ौफ़-ए-अज़ाब कुछ नहीं
जिस में न जोश-ए-जोहद हो उस का शबाब कुछ नहीं
ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं
नग़मा-ए-नौ के वास्ते ग़ैर की एहतियाज क्या
छेड़ दे तार-ए-साज़-ए-दिल चंग-ओ-रुबाब कुछ नहीं
साफ़ दिलों के वास्ते तंग है अरसा-ए-हयात
ज़ात-ए-हुबाब ख़ूब है उम्र-ए-हुबाब कुछ नहीं
बरहमन और शैख़ में झगड़े यही हैं रात दिन
तेरी किताब कुछ नहीं तेरी किताब कुछ नहीं
रात को मय-कदे में कल थी किसी मस्त की सदा
एक नज़र का रंग है रंग-ए-शराब कुछ नहीं
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