फ़ितरत में आदमी की है मुबहम सा एक ख़ौफ़
उस ख़ौफ़ का किसी ने ख़ुदा नाम रख दिया
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तुलू-ए-शब
शब-ताब
मेरा साक़ी है बड़ा दरिया-दिल
अपने अंजाम से डरता हूँ मैं
तेरी आँखों में जो नशा है पज़ीराई का
उस ने माइल-ब-करम हो के बुलाया है मुझे
रंगीनी-ए-हवस का वफ़ा नाम रख दिया
फ़क़त इक शग़्ल बेकारी है अब बादा-कशी अपनी
दौर-ए-फ़लक के शिकवे गिले रोज़गार के
एक हुस्न-फ़रोश लड़की के नाम
किस को है हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद का दावा देखें