इश्क़ में कब ये ज़रूरी है कि रोया जाए

इश्क़ में कब ये ज़रूरी है कि रोया जाए

ये नहीं दाग़-ए-नदामत जिसे धोया जाए

दोपहर हिज्र की तपती हुई सर पर है खड़ी

वस्ल की रात को शिकवों में न खोया जाए

उलझे अब पंजा-ए-वहशत न गरेबानों से

आज उसे सीना-ए-आ'दा में गड़ोया जाए

एक ही घूँट सही आज तो पी ले ज़ाहिद

कुछ न कुछ ज़ोहद की ख़ुश्की को समोया जाए

जितने भी दाग़ रऊनत के हैं धुल जाएँगे

हौज़-ए-मय में तुझे शैख़ आज डुबोया जाए

(906) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae In Hindi By Famous Poet Gopal Mittal. Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae is written by Gopal Mittal. Complete Poem Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae in Hindi by Gopal Mittal. Download free Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae Poem for Youth in PDF. Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae is a Poem on Inspiration for young students. Share Ishq Mein Kab Ye Zaruri Hai Ki Roya Jae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.