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Ghulam Murtaza Rahi Love In Hindi - Best Love Of Ghulam Murtaza Rahi Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Love Poetry of Ghulam Murtaza Rahi

Love Poetry of Ghulam Murtaza Rahi
नामग़ुलाम मुर्तज़ा राही
अंग्रेज़ी नामGhulam Murtaza Rahi
जन्म की तारीख1937

कोई इक ज़ाइक़ा नहीं मिलता

हुस्न-ए-अमल में बरकतें होती हैं बे-शुमार

अब और देर न कर हश्र बरपा करने में

उबल पड़ा यक-ब-यक समुंदर तो मैं ने देखा

ताबीरों से बंद क़बा-ए-ख़्वाब खुले

रखता नहीं है दश्त सरोकार आब से

क़दमों से मेरे गर्द-ए-सफ़र कौन ले गया

मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला

मौजूदगी का उस की असर होने लगा है

हैं और कई रेत के तूफ़ाँ मिरे आगे

फ़राख़-दस्त का ये हुस्न-ए-तंग-दस्ती है

बढ़ा जब उस की तवज्जोह का सिलसिला कुछ और

बात बढ़ती गई आगे मिरी नादानी से

आगे आगे शर फैलाता जाता हूँ

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by ग़ुलाम मुर्तज़ा राही. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by ग़ुलाम मुर्तज़ा राही. Share the ग़ुलाम मुर्तज़ा राही Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.