किसी की राह में आने की ये भी सूरत है
कि साया के लिए दीवार हो लिया जाए
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(742) Peoples Rate This
झलकती है मिरी आँखों में बेदारी सी कोई
दूसरा कोई तमाशा न था ज़ालिम के पास
हम-सरी उन की जो करना चाहे
यूँही बुनियाद का दर्जा नहीं मिलता किसी को
अब मिरे गिर्द ठहरती नहीं दीवार कोई
साँसों के आने जाने से लगता है
पेड़ अगर ऊँचा मिलता है
उबल पड़ा यक-ब-यक समुंदर तो मैं ने देखा
ठहर ठहर के मिरा इंतिज़ार करता चल
राह से मुझ को हटा कर ले गया
किसी ने भेज कर काग़ज़ की कश्ती
पुरखों से चली आती है ये नक़्ल-ए-मकानी