हम-सरी उन की जो करना चाहे
उस को सूली पर चढ़ा देते हैं
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(649) Peoples Rate This
बात बढ़ती गई आगे मिरी नादानी से
हर एक साँस मुझे खींचती है उस की तरफ़
दूसरा कोई तमाशा न था ज़ालिम के पास
चाहता है वो कि दरिया सूख जाए
ज़बान अपनी बदलने पे कोई राज़ी नहीं
शक्ल सहरा की हमेशा जानी-पहचानी रहे
रहेगा आईने की तरह आब पर क़ाएम
पेड़ अगर ऊँचा मिलता है
माज़ी! तुझ से ''हाल'' मिरा शर्मिंदा है
कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा
मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला
पस्त-ओ-बुलंद में जो तुझे रिश्ता चाहिए