राह से मुझ को हटा कर ले गया
राह से मुझ को हटा कर ले गया
जान का ख़तरा बता कर ले गया
कट मिरा इक शख़्स अपनी आन पर
और अपना सर उठा कर ले गया
एक दिन दरिया मकानों में घुसा
और दीवारें उठा कर ले गया
हाथ सूरज के न जब आई नदी
आग पानी में लगा कर ले गया
उड़ती चिंगारी को जुगनू जान कर
तिफ़्ल दामन में छुपा कर ले गया
मुद्दतों काँटे बिछाए राह में
एक दिन आँखें बिछा कर ले गया
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