Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0fe55a51d0c54f8c83fa308cf5868eb2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नहीं है बहर-ओ-बर में ऐसा मेरे यार कोई - ग़ुलाम मुर्तज़ा राही कविता - Darsaal

नहीं है बहर-ओ-बर में ऐसा मेरे यार कोई

नहीं है बहर-ओ-बर में ऐसा मेरे यार कोई

कि जिस ख़ित्ते का मिलता हो न दावेदार कोई

यूँही बुनियाद का दर्जा नहीं मिलता किसी को

खड़ी की जाएगी मुझ पर अभी दीवार कोई

पता चलने नहीं देता कभी फ़रियादियों को

लगा कर बैठ जाता है कहीं दरबार कोई

निगाहें उस के चेहरे से नहीं हटतीं जो देखूँ

कि है उस के गले में बेश-क़ीमत हार कोई

बचाता फिरता हूँ दरिया में अपनी कश्ती-ए-जाँ

कभी इस पार है कोई भी उस पार कोई

उसी का क़हर बरपा है उसी का फ़ैज़ जारी

हर इक मजबूर का है मालिक-ओ-मुख़्तार कोई

कहलवाया है उस ने फाँद कर दीवार आ जाना

अगर दरवाज़े पर बैठा हो पहरे-दार कोई

(718) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi In Hindi By Famous Poet Ghulam Murtaza Rahi. Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi is written by Ghulam Murtaza Rahi. Complete Poem Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi in Hindi by Ghulam Murtaza Rahi. Download free Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi Poem for Youth in PDF. Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi is a Poem on Inspiration for young students. Share Nahin Hai Bahr-o-bar Mein Aisa Mere Yar Koi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.