कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा

कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा

शहर की बातों पे सहरा हमा-तन-गोश रहा

आँखों आँखों में वज़ाहत से हुआ कीं बातें

चुप न महफ़िल में वो बैठा न मैं ख़ामोश रहा

रख दिया वक़्त ने आईना बना कर मुझ को

रू-ब-रू होते हुए भी मैं फ़रामोश रहा

मुद्दतों ब'अद नक़ाब उस ने उठाई रुख़ से

सर-ब-सर शोला वो निकला जो सियह-पोश रहा

ठहरा इज़हार की हसरत को छुपाना मुश्किल

बन गया बोलती तस्वीर जो ख़ामोश रहा

धूप की थी जहाँ फ़सलों को ज़रूरत 'राही'

बादलों में वहीं सूरज कहीं रू-पोश रहा

(699) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha In Hindi By Famous Poet Ghulam Murtaza Rahi. Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha is written by Ghulam Murtaza Rahi. Complete Poem Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha in Hindi by Ghulam Murtaza Rahi. Download free Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha Poem for Youth in PDF. Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Kahne Sunne Ka Ajab Donon Taraf Josh Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.