Khawab Poetry of Ghulam Murtaza Rahi
नाम | ग़ुलाम मुर्तज़ा राही |
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अंग्रेज़ी नाम | Ghulam Murtaza Rahi |
जन्म की तारीख | 1937 |
अब जो आज़ाद हुए हैं तो ख़याल आया है
आता था जिस को देख के तस्वीर का ख़याल
ताबीरों से बंद क़बा-ए-ख़्वाब खुले
नायाब चीज़ कौन सी बाज़ार में नहीं
मिरी गिरफ़्त में है ताएर-ए-ख़याल मिरा
मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी
कहीं कहीं से पुर-असरार हो लिया जाए
बर्क़ का ठीक अगर निशाना हो