ग़ुलाम मुर्तज़ा राही कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ुलाम मुर्तज़ा राही (page 3)
नाम | ग़ुलाम मुर्तज़ा राही |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ghulam Murtaza Rahi |
जन्म की तारीख | 1937 |
मुझे ग़ुबार उड़ाता हुआ सवार लगा
मिली राह वो कि फ़रार का न पता चला
मिरी सिफ़ात का जब उस ने ए'तिराफ़ किया
मिरी गिरफ़्त में है ताएर-ए-ख़याल मिरा
मेरे लब तक जो न आई वो दुआ कैसी थी
माज़ी! तुझ से ''हाल'' मिरा शर्मिंदा है
मौजूदगी का उस की असर होने लगा है
कहने सुनने का अजब दोनों तरफ़ जोश रहा
कहीं कहीं से पुर-असरार हो लिया जाए
जो मुझ पे भारी हुई एक रात अच्छी तरह
झलकती है मिरी आँखों में बेदारी सी कोई
हिसार-ए-जिस्म मिरा तोड़-फोड़ डालेगा
हैं और कई रेत के तूफ़ाँ मिरे आगे
फ़राख़-दस्त का ये हुस्न-ए-तंग-दस्ती है
बर्क़ का ठीक अगर निशाना हो
बढ़ा जब उस की तवज्जोह का सिलसिला कुछ और
बात बढ़ती गई आगे मिरी नादानी से
आगे आगे शर फैलाता जाता हूँ