मुझ को ग़रीब और क़रज़-दार देख कर
मुझ को ग़रीब और क़रज़-दार देख कर
मुझ से वो दूर है मुझे बे-कार देख कर
पैदल हमें जो देख के कतराते थे कभी
अब लिफ़्ट माँगते हैं वही कार देख कर
उश्शाक़ सारे मर गए उन के तो देखिए
पछता रहे हैं अब हमें बीमार देख कर
अब रहनुमाई करने से कतरा रहे हैं सब
मशहूर रहना को सर-ए-दार देख कर
कल रात उस ने बाजी भी माशूक़ को कहा
उस घर में उस की अम्मा को बेदार देख कर
मुफ़लिस था जब गली में भी घुसने नहीं दिया
अब रिश्ता दे रहे हैं वही कार देख कर
जब तुम हसीन थे तो कभी बात तक न की
अब रो रहे हो ज़ोफ़ के आसार देख कर
निकला सिंघार-ख़ाने से तू बन सँवर के यूँ
मैं डर गया था कल तुझे ऐ यार देख कर
अच्छा है कोई तो करे आपस में ताँक-झाँक
क्यूँ जल रहा है बे-वजह तू प्यार देख कर
'वामिक़' कभी तो हम भी बहुत ही शरीफ़ थे
बिगड़ा है ये मिज़ाज वी-सी-आर देख कर
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