यूँ तो सदा-ए-ज़ख़्म बड़ी दूर तक गई

यूँ तो सदा-ए-ज़ख़्म बड़ी दूर तक गई

इक चारागर के शहर में जा कर भटक गई

ख़ुशबू गिरफ़्त-ए-अक्स में लाया और उस के बाद

मैं देखता रहा तिरी तस्वीर थक गई

गुल को बरहना देख के झोंका नसीम का

जुगनू बुझा रहा था कि तितली चमक गई

मैं ने पढ़ा था चाँद को इंजील की तरह

और चाँदनी सलीब पे आ कर लटक गई

रोती रही लिपट के हर इक संग-ए-मील से

मजबूर हो के शहर के अंदर सड़क गई

क़ातिल को आज साहिब-ए-एजाज़ मान कर

दीवार-ए-अदल अपनी जगह से सरक गई

(866) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai In Hindi By Famous Poet Ghulam Mohammad Qasir. Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai is written by Ghulam Mohammad Qasir. Complete Poem Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai in Hindi by Ghulam Mohammad Qasir. Download free Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai Poem for Youth in PDF. Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai is a Poem on Inspiration for young students. Share Yun To Sada-e-zaKHm BaDi Dur Tak Gai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.