ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

मैं कैसे न रुकता चलने लगा जब सुर्ख़ इशारा आँखों में

मंज़र में किनारों से बाहर दरिया-ए-मोहब्बत बहता है

और पस-मंज़र में नीले से आँचल का किनारा आँखों में

हर साल बहार से पहले मैं पानी पर फूल बनाता हूँ

फिर चारों मौसम लिख जाते हैं नाम तुम्हारा आँखों में

अब कहने वाले कहते हैं इस शहर में रात नहीं होती

इक ऐसा ही दिन था वो चेहरा जब मैं ने उतारा आँखों में

सोचा है तुम्हारी आँखों से अब मैं उन को मिलवा ही दूँ

कुछ ख़्वाब जो ढूँडते फिरते हैं जीने का सहारा आँखों में

(916) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein In Hindi By Famous Poet Ghulam Mohammad Qasir. KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein is written by Ghulam Mohammad Qasir. Complete Poem KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein in Hindi by Ghulam Mohammad Qasir. Download free KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein Poem for Youth in PDF. KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share KHamosh The Tum Aur Bolta Tha Bas Ek Sitara Aankhon Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.