उस ख़ित्ते की जा आलम-ए-बाला में नहीं
यारा-ए-नज़र चश्म-ए-तमाशा में नहीं
हर ताइफ़ा शायान-ए-तवाफ़-ए-मलकूत
मेरठ में हैं वो लोग कि दुनिया में नहीं
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Jaun Eliya
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ख़ुदा से डरते तो ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न करते हम
दयार-ए-यार का शायद सुराग़ लग जाता
न हो आरज़ू कुछ यही आरज़ू है
दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की
राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे
वो ज़िक्र था तुम्हारा जो इंतिहा से गुज़रा
आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम
वो संग-दिल अंगुश्त-ब-दंदाँ नज़र आवे
किस क़दर दिलरुबा-नुमा है दिल
दीदा-ए-सर्फ़-ए-इंतिज़ार है शम्अ
ज़ुहहाद का ग़फ़लत से है औराद-ओ-सुजूद
नाला करता हूँ लोग सुनते हैं